
भगवान शिव हमेशा समाधिष्ट रहते हैं – देवराहाशिवनाथ
आरा। परमपूज्य त्रिकालदर्शी परमसिद्ध संत श्री देवराहा शिवनाथ दासजी महाराज के सान्निध्य में आज आनंद नगर में शिवरात्रि के अवसर पर संकीर्तन का आयोजन किया गया। वहीं आनंद नगर में श्रद्धालु भक्तों के द्वारा संत श्री महाराज का जलाभिषेक किया गया और जलाभिषेक के साथ ही श्रद्धालुओं के द्वारा संतश्री की महाआरती की गई।इसके बाद श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए संत श्री ने कहा कि भगवान शिव आदि देव और देवाधिदेव है। भगवान शिव हमेशा समाधिष्ट रहते हैं। भगवान शिव को समाधि से जगाने के लिए भक्तगण उनपर जल चढ़ाते हैं।जिससे भगवान शिव समाधि से जगकर भक्तों को मनोवांछित फल देते हैं और भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं। संत श्री ने आगे कहा कि शिवरात्रि पर जो भक्त संकीर्तन करते हैं हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।इसका मतलब है कि इस संकीर्तन में आगे भी हरे हैं और पीछे भी हरे हैं। हरे का मतलब शिव है ।अतैव संकीर्तन में शिव के साथ राम और कृष्ण दोनों ही है। इसलिए संकीर्तन करने से शिव के साथ ही साथ राम और कृष्ण दोनों की कृपा जीव पर बरसती है। वहीं इस दौरान हजारों श्रद्धालु भक्त मौजूद थे।